देश भर में लक्ष्मी स्वरूपा शीतला माता (shitla mata) यानि दशा माता का पर्व आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। मुंबई के अंधेरी में बड़ी संख्या में महिलाएँ पारंपरिक गणवेश में दशा माता की पूजा-अर्चना के साथ-साथ कहानियों का स्मरण करती नजर आईं।
दशा माता पर्व का महत्व
जीवन में सुख, समृद्धि और घर की दशा सुधारने वाला दशा माता (shitla mata) का यह विशेष पर्व होली दहन के बाद से शुरू होता है जो 10 दिनों तक चलता है। दशा माता पर्व में महिलाएँ प्रतिदिन सज-धज कर दशा माता की आराधना करती हैं, उनकी कथा सुनती हैं और भक्ति का आनंद लेती है। पर्व के 10वें दिन दशा माता माता (dasha mata) की विशेष पूजन की जाती है और घर में बनाए गए पकवानों से माता को भोग चढ़ाया जाता है। इसे ठंडा पूजन भी कहा जाता है। मान्यता है कि दशा माता (dasha mata ki katha) का पूजन करने से घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। महिलाएँ अपने गले में दशा माता के नाम का विशेष धागा धारण करती हैं, जिसे सुरक्षा कवच माना जाता है।

विशेष पूजन स्थल का इतिहास
अंधेरी के जिस स्थान पर दशा माता का यह पर्व मनाया जा रहा है, यह स्थान भी अपनी अलग पहचान रखता है। बताया जाता है कि लगभग 40 साल पहले यहाँ नियमित रूप से दशा माता की पूजा की जाती थी। लेकिन समय के साथ जब इस क्षेत्र का पुनर्विकास (रीडेवलपमेंट) हुआ, तो माता जी का मूल स्थान वहां से हटाया गया । हालांकि, माता जी कृपा के बाद कुछ ही वर्षों बाद उसी स्थान पर फिर से पूजा-अर्चना के लिए जगह प्रदान की गई। जो आज भी यहाँ निरंतर श्रद्धालु माता जी की पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे यह स्थान आध्यात्मिक केंद्र बन गया ।

भक्तों की आस्था और भक्ति का संगम
अंधेरी (nadheri mumbai) में हुए इस विशेष आयोजन में महिलाओं ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ दशा माता की पूजा-अर्चना की। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं को आध्यात्मिक रूप से जोड़ने का एक माध्यम भी है। बड़ी संख्या में महिलाये माँ दशा माता की आराधना में लीन होकर सुख-समृद्धि की कामना करती है जय जय दशा माता

रिपोर्ट: अनिल परमार (मुंबई)
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