मैसुरु। शहर के के आर नगर तालुक की प्रवासी सुहागिनो ने श्रावण की तीज का व्रत रख अखंड सुहाग की कामना की। सोलह शृंगार कर सजी धजी हुई सारी सखियां अपने हाथो में पूजन का थाल लिए चांद का इंतजार कर रही थीं।
मोनिका सीरवी ने बताया की अखण्ड सुहाग व मनोवांछित वर की कामना से जुड़ा राजस्थानी प्रवासी का प्रमुख लोक पर्व बड़ी तीज (कजली तीज) बुधवार को पारंपरिक रूप से हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। सुहागिनों ने अखण्ड सुहाग और कुंआरी कन्याओं ने मनोवांछित वर की कामना के साथ बिना अन्न-जल ग्रहण किए तीज का व्रत रखा। चन्द्र प्रधान व्रत होने के कारण तीजणियों ने रात को चन्द्रमा के दर्शन होने पर चन्द्रमा की पूजा अर्चना की। इससे पूर्व सूर्यास्त के बाद तीजणियों ने परिवार की बुजुर्ग व वरिष्ठ महिलाओं से तीज, गणेश व धमोली की कथाएं सुनीं व तीज मनाने का महत्व समझा। एवं सतु वितरण के साथ सुहागिनों ने तीज माता से अपने सुहाग की कुशलता की कामना की व चन्द्रमा के दर्शन कर व्रत खोला। चन्द्रोदय होने पर हाथों में मेहंदी रचाकर व सुहाग के प्रतीक लाल वस्त्र पहनकर तलाई में दूध डाल कर नीमली के दर्शन किए। बाद में सत्तू, नींबू, काचरे व मोती के दर्शन कर चन्द्रमा को अघ्र्य दिया। उन्होंने अपने सुहाग की कुशलता की प्रार्थना की। वही कुंआरियों ने चन्द्रमा की पूजा कर सुयोग्य वर की कामना की। इससे पूर्व तीजणियों ने घरों में बेसन, गेंहूं, चावल व सूजी से बने सत्तू की मिठाइयां बनाई। बाद में तीजणियों ने आक के पत्तों पर सत्तू, सेव-केले का भोजन ग्रहण किया।
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नरेंद्र राठोड़ / मैसुर