बेहतरीन कार्य करके साहित्य व् कला के क्षेत्र में राजसमंद को पूरे भारत में पहचान दिलाई
मूंबई= बहूआयामी प्रतिभा के धनी मांगीलाल अफगी का जन्म जोधपुर में उदय राम मोहिनी देवी के घर 17 अक्टूबर 1947 को हुआ उनका बचपन में नाम पृथ्वीराज था मगर जन्म से ही बीमार रहने के कारण बोलना मैं 10 वर्ष तक मांग कर कपड़े पहनाने से माता-पिता ने बाद में नाम मांगीलाल रख दिया वाले आबो हवा मारवाड़ कि आपके स्वास्थ्य के अनुकूल ना होने से राजसमंद के धोईन्दा ग्राम में आकर बस गए ,
माता जी की प्रेरणा से आप में भक्ति के भाव बचपन से ही अंकुरित होने लग गए आपकी जीवन यात्रा में फतेह लाल अनोखा कमल मयंक शर्मा जमुना प्रसाद पवार कमल सांचौहर मनु भाई वासु और अनगिनत मित्र रहे इनकी पत्नी कमला देवी हैं दो बेटियां निरमला गीता देवी और तीन बेटे हैं जिसमें बड़े बेटे जगदीश की तो पूर्व से ही मृत्यु हो गई थी जबकि दूसरा पुत्र दर्शन व तीसरा मुकेश पालीवाल है
उनके के बारे में डॉक्टर राकेश तैलंग ने कुछ इस अंदाज में कहा कि अंफगी साहब के व्यक्तित्व व कृतित्व को देखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि ये अपनी जीवन जीने की कला यात्रा में एकला चालो रे की उत्कृष्ट जिजिविधा के साथ जीते थे क्षूद स्वार्थ एवं धोती प्रसिद्धि के लिए वह अपनी भाव वि कला क्षमताओं को बाजार वादी संस्कृति के बदले त्यागने को कभी तैयार नहीं हुए जीवन यात्रा में उनका पाथेय हमेशा भगवत आस्था रही थी और जन कल्याणकारी साहित्य सर्जन उनका मुख्य ध्येय रहा अपंग की साहब का यह मत भी था कि आत्मा परमात्मा परस पर एक तद्रूप हैं एक रूप है पूष्प मे निहित रंग सुगंधवत चेतना की संस्कृति का एक आकर्षण केंद्र हैं मस्त मौला मिजाज के धनी अपने यारों के यार थे हरमोला व्यक्तित्व का परिचय अनुज भ्राता हरि वलभ जी पालीवाल ने कुछ यूं ही कहा कि मुझे बचपन से ही मंदिर ओर धार्मिक सांस्कृतिक स्थलों पर होने वाले धार्मिक भजन कीर्तन धुन आदि की रूचि होने तथा घर में भी अग्रज मांगीलाल जी अंफगी द्वारा प्रदत्त सांस्कृतिक वातावरण में मेरे लिए ईश्वर प्रदत्त अनुपम वरदान का काम किया एक श्रेष्ठ शिक्षक चित्रकार कथावाचक गायक नृत्य निदेशक कवि एवं गीतकार थे अपकी रचनाओं में अनूस्यूत ईश्वर के प्रति प्रगाढ़ समर्पण भाव साथ ही नीति परख शश्कत अभिव्यक्ति से भारतीय संस्कृति के संवाहक शास्त्रों और संस्कृत वार्डमय के विषयो से परिचित होने का लाभ मिलता है
श्रेदेय अंफगी की साहब के देश भक्ति से ओत प्रोत गीतों में भारत माता के प्रति जिन गौरवशाली भावनाओं का समावेश है मंच पर बाल कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियो में जो उत्साह उमंग और तन्मयता आपके गीतों के माध्यम से दृष्टिगत होती है सचमुच अतुलित आनंद का अजस्र स्त्रोत होती है राज्य और राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रमों में छात्राओं के द्वारा प्रस्तुतियां दिलाई आपके कई गीतों ने राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया राजकिय की सेवा में रहकर आप ने जिस तरह अपने शिष्यों को गीत संगीत नृत्य की तालीम दी आज भी कई प्रतिभा इस क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं साहित्यकार फते लाल गुर्जर अनोखा ने आपके बारे में कहा कि अंफगी जी हिंदी राजस्थानी के मूध्यन गीतकार थे गीतो को धूंन देने मे आपका कोई सानी नहीं है कई वाद्य यंत्रों को आप बजाते थे आप क्षेत्र के चित्रकारों में अपना उच्च स्थान रखते थे चित्रों में रंग देखकर देकर उकेरने मे माहिर थे आप का साहित्यक योगदान में कई गीत बाल गीत माला जयघोष काव्यान प्रकाशित हो चुकी है और अन्य गिनत समानों से जिला व राज्य राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें नवाजा गया है आशा कर साक्षरता कार्यक्रम मैं भी आपने अनुकरणीय सहायक योगदान दिया है
दया के सागर गो भक्त अंफगी मृक प्राणियों के प्रति बड़ी करुणा रखते थे पशुओं के प्रति उनकी संवेदना आम जनों की अपेक्षा कुछ अधिक थी इसका परिणाम उनके जीवन पैसा से जुड़ा एक प्रसंग हैं गोपालक अंफगी के यहां जो गाय थी वह समय से पहले मर गई थी अब सवाल यह था कि बछड़ी को कैसे जीवित रखा जाए श्री अंफगी प्रतिदिन बाजार से 1 लीटर दूध लाकर उस दिन मां के बच्चे को पिला देते हैं बच्छड़ी जब 1 वर्ष की हो गई थी तो उसको वर्षगांठ पर सभी गायों को हरी घास खिला कर जन्म दिन मनाया गया
प्रख्यात गायक मोइनुद्दीन मनचला भी अंफगी साहब को अपना गुरु मानते थे साहित्य सर्जक अफंगी 7 जून 2009 को किसी आयोजन आयोजन में निवर्तमान केंद्रीय मंत्री डा सी पी जोशी और निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निमंत्रण पर जयपुर कार से जा रहे थे दूदू के पास सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी यह खबर सुनते ही पूरे राजसमंद में शोक की लहर छा गई आज भी राजसमंद वासियों को हरफनमौला मांगीलाल जी अंफगी की स्मृति जैहन में तेरती रहती हैं इस मृत्यु लोक में जो आया है उसे जाना ही मगर किसी ने कहा कि दुनिया में ऐसे काम करो जो लिखने जेसा हो या कुछ ऐसा लिख कर जाओ जो पढ़ने जैसा हो मैं तो यही कहूंगा कि मांगीलाल जी एक ऐसी शख्सियत थी जिन्होंने बेहतर से बेहतरीन कार्य करके साहित्य और कला के क्षेत्र में राजसमंद को पूरे भारत में पहचान दिलाई थी इस माटी के लाल को मैं शत-शत नमन करता हूं उन्हीं की लिखी पंक्तियो से…..
मन मंदिर मायने बेठया आतम देव….
मुरख बारे मत रखड़ मनरा देवत सेव…..
मन री मुठ्ठी मायने तीन लोकी रो राज मनसू मुक्ति मोक्ष हैं मन मोटो महाराज…..
प्रस्तुतकर्ता = सूर्य प्रकाश दीक्षित कवि एवं साहित्यकार कालू गोष्टी मंच कांकरोली