आचार्यश्री महाश्रमण

मुम्बई ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने गुरुमुख से स्वीकार की मंत्र दीक्षा

मुंबई का नंदनवन ( nandanvan mumvai ) परिसर धार्मिक व् आस्था का केंद्र बनता जा रहा है भागदौड़ भरी जिंदगी को पीछे छोड़ सम्पूर्ण मुम्बई की जनता मानों आस्था के इस सम्नदर में डुबकी लगाने को लालायित नजर आ रही है। अपने आराध्य के चतुर्मासकाल का लाभ उठाने प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शनार्थि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, ( acharya mahasharman) के मंगल सन्निधि में पहुंचने की मानो होड़-सी मची हुई है। क्या बच्चे, किशोर व युवाओं के साथ साथ वयोवृद्ध लोग भी अपने आराध्य गुरुदेव के दर्शन की आस लिए नन्दनवन पहुंच रहे हैं। यहां पहुंचकर लोग आचार्यश्री व साधु-साध्वियों के दर्शन सहित आचार्यश्री के कल्याकारी मंगलवाणी से भी लाभान्वित हो रहे हैं। उसके ;लिए आपको अनिल परमार की यह विशेष रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए

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मायानगरी मुंबई ( mumbai )वासियों की भागदौड़ भरी जिंदगी और व्यस्थ जीवन सैली को आध्यत्मिक व आस्था की और आकर्षित कर रहा यह नंदनवन परिसर जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में शर्धलु पहुंच रहे है तो वही लोग यहां आचार्श्री के दर्शन के साथ साथ नंदनवन परिसर में सजी दुकानों से शॉपिंग भी कर रहे है

रविवार को नन्दनवन परिसर में बना यह भव्य और विशाल प्रवचन पण्डाल आचार्यश्री महाश्रमण के मंचासीन होने से पूर्व ही जनाकीर्ण बन गया था। इस विशाल परिषद में हजार से अधिक की संख्या में तो मुम्बई के सभी ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थी, ज्ञानशाला के प्रशिक्षक व प्रशिक्षिकाएं उपस्थित थे, क्योंकि आज मंत्र दीक्षा का कार्यक्रम भी समायोजित था तो दूसरी ओर मुम्बई के प्रतिष्ठित लोगों की उपस्थिति भी थी।

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निर्धारित समयानुसार आचार्यश्री महाश्रमणजी इस भव्य एवं विशाल तीर्थंकर समवसरण में पधारे तो पूरा वातावरण जयघोष से गुंजायमान हो उठा। लोग अपने आराध्य की बस एक झलक पाने को आतुर दिखे। हजारो की संख्या में भाविक भक्तों का यह नजारा आस्था का जान सैलाब दिखाई पद रहा था 

परमराध्य आचार्यश्री महाश्रमण ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि मनुष्य अपने जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट भोगता हैं।  जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयां आती हैं। ऐसे में मनुष्य को मानसिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्श्री ने कहा की 

मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने हजार से अधिक की संख्या में उपस्थित मुम्बई व आसपास की ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों को मंत्र दीक्षा प्रदान की। अपने सुगुरु के मुख से मंत्र दीक्षा प्राप्त कर ज्ञानार्थी भी हर्षविभोर थे। 

ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने दी मनमोहक प्रस्तुति

आचार्यश्री ने ज्ञानार्थियों को विविध प्रेरणाएं भी प्रदान करते हुए महाप्रयाण ध्वनि का प्रयोग कराया। ज्ञानार्थियों ने आचार्यश्री को विधि अनुसार वंदन किया।

कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखाजी ने विद्यार्थियों को अपने जीवन में बेस्ट बनने को अभिप्रेरित किया तो वही साध्वीवर्याजी ने भी उपस्थित जनता को उद्बोधित किया।
इस संदर्भ में चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मदनालाल तातेड़, कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सौरभ जैन, व डॉ. दिलीप सरावगी ने अपनी अभिव्यक्ति दी।

मुंबई का नंदनवन परिसर धार्मिक व् आस्था का केंद्र बनता जा रहा है भागदौड़ भरी जिंदगी को पीछे छोड़ सम्पूर्ण मुम्बई की जनता मानों आस्था के इस सम्नदर में डुबकी लगाने को लालायित नजर आ रही है।  अपने आराध्य के चतुर्मासकाल का लाभ उठाने प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शनार्थि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल सन्निधि में पहुंचने की मानो होड़-सी मची हुई  है।

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