26 जनवरी के इस अवसर पर हम आज यहाँ एकत्रित हुए है, क्योकि आज हम आजादी का जश्न मनाने आए है, लेकिन इस आजादी के लिए हमने कितने बलिदान और कुर्बानी दी है, इसको अगर हम आज याद करे तो, हमारी आँखे नम हो जाती है, आज हम इसी बात पे चर्चा करेंगे. सीमा पर जो जवान हमारे लिए खड़े है, वो अपना घर छोड़ के हमारे लिए सरहद पे पहरा दे रहे है. उन्हें याद करना और उनके साथ खड़े रहना हमारा कर्तव्य है, हमारा फर्ज है.
हुए जवान शहीद जो, आओ उनको याद करे
सीने में हमारे भी हम, आओ ये जज्बात भरे
झुके नहीं कभी तिरंगा, परचम ये लहराता रहे
हरदम हरपल ही ये, देशभक्ति का काम करे
खिला रहे ये गुलशन, चमन कभी बेजार न हो
दुश्मन को औकात बताओ, सीमा के पार न हो
शोले आँखों में दहकाओ, बाजू अपने फडकाओ
सबक सिखा दो ऐसा के, फिर कोई वार न हो
मेरे प्यारे दोस्तों आज का ये दिन हम हमेशा देश के नाम करते आए है, लेकिन अब हरपल हर घडी वतन के नाम करनी होगी, हमारी सोच में देश होना चाहिए, सबसे पहले बात हो तो देश की हो,
साँस साँस हो वतनपरस्ती, धड़कन में बस देश हो
करे गद्दारी कोई अगर तो, जज्बातों में आवेश हो
इस मिट्टी के पले बढे हम, खेले कूदे हम यहीं
जात भाषा चाहे हो कोई, पहचान भारत देश हो
अगर ये फैसला ये हौसला हर कोई कर ले तो फिर कोई नहीं रोक सकता, भारत को आगे बढ़ने से, फिर से हमारा देश विश्वगुरु बन सकता है, लेकिन इस सब के लिए आपको, हम सबको, साथ देना होगा, और सबसे पहले भारत के बारे में सोचना होगा, तभी ये सपना साकार होगा, अन्यथा हम और पछे जाएंगे, आने वाली पीढ़िया हमें कोसेंगी, और जिन्होंने हमारे लिए खून बहाया, देश के लिए, हमारे लिए क़ुरबानी दी, उनकी कुर्बानी व्यर्थ जाएगी, तो हमें धिक्कार है.
राणा जैसे शेर वतन के, देश पे जान लुटा बैठे
भगत सिंह आजाद भी, भारत के आंचल में लेटे
शिवा भारत के लाल थे, मुगलों की चूले हिला डाली
नहीं हुए फिर से पैदा वो, शहीद हुए भारत के बेटे
हम उन्हें याद करके उन्हें श्रद्धांजलि देते है.
इसी के साथ आज का ये भाषण समाप्त करता हूँ और एक बार फिर से वन्दे मातरम्, जय हिन्द, भारत माता की जय.