कोरोना महामारी के संकट के समय में बॉर्डर पर फसे हुए राजस्थानी प्रवासियों को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अपने ऑफिसियल फेसबुक पेज से यह जानकारी दी  है की जिन लोगों को ई-पास जारी हो चुके हैं, उनके राजस्थान में प्रवेश पर कोई रोक नहीं है, उन्हें सिमा के अंदर प्रवेश दिया जा रहा है –

   राजस्थान सरकार पेज पर दी गई जानकारी के अनुसार यह बताया गया है की राजस्थान की दूसरे राज्यों के साथ सीमाओं पर प्रवासियों के प्रवेश को रोका नहीं गया है बल्कि अंतर-राज्यीय आवागमन को सुगम बनाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। जिन लोगों को ई-पास जारी हो चुके हैं, उनके राजस्थान में प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। इसी प्रकार, राजस्थान में फंसे हुए अन्य राज्यों के प्रवासी भी भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर अपने स्थान पर जा सकते हैं।
निवास पर कोरोना संक्रमण से बचाव की स्थिति की नियमित समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता लोगों का जीवन बचाना और कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकना है। अंतर-राज्यीय तथा अंतर-जिला एवं जिले के अंदर आवागमन को सुगम बनाने के लिए अनुमति देने की प्रक्रिया को अधिक बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार शुक्रवार को ही स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) जारी किया गया है। ई-पास की अनुमति के लिए जिला स्तर पर विशेष सैल बनाने के निर्देश दिए।
ज्ञातव्य है कि लॉकडाउन के तीसरे चरण के लागू होेने के समय राजस्थान के 10 जिले ग्रीन जोन में थे, जो संक्रमण बढ़ने से घटकर 2 रह गए हैं। इस कारण श्रमिकों एवं अन्य प्रवासियों के आवागमन की प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाया गया है। साथ ही, आपात स्थिति में राजस्थान में अंतर-जिला आवागमन के लिए कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी (एसडीएम) को पास जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है।

दूसरे राज्यों के श्रमिकों से अपने गृह राज्य के लिए पैदल नहीं निकलने की अपील है, वे बिना अनुमति लिए प्रस्थान ना करें। निर्धारित प्रक्रिया अपनाकर अनुमति प्राप्त करने वाले श्रमिकों के लिए राजस्थान सरकार उनके गृह राज्य से एनओसी प्राप्त कर उचित प्रबंध कर रही है। राजस्थान में लगभग 18 लाख लोग अंतर-राज्यीय आवागमन के लिए रजिस्टर करा चुके हैं, जिनमें से 11 लाख लोग प्रदेश में आने वाले हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को यहां आना तब तक संभव नहीं है, जब तक लॉकडाउन समाप्त होने पर नियमित रूप से सड़क, हवाई एवं रेलवे सेवाएं शुरू नहीं हो जाएं।

अचानक लॉकडाउन में फसे हुए लोगों दी जारही है प्राथमिकता 

आवागमन के लिए प्राथमिकता उन लोगों को मिलनी चाहिए जो धार्मिक यात्रा, पर्यटन, व्यापार या अस्थाई रूप से किसी दूसरे राज्य में गए और अचानक लॉकडाउन के कारण वहां फंस गए। भारत सरकार ने भी ऐसे लोगों को अपने गृह स्थान जाने के लिए यह छूट दी है। शेष प्रवासियों से पुनः आग्रह है कि धैर्य बनाए रखें और अपने स्थान पर रहें। जो भी व्यक्ति दूसरे राज्य में आएगा उसे 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन की असुविधा का सामना करना पडे़गा, इसलिए जल्दबाजी नहीं करें।

केवल प्रवासी बंधु ही नहीं पूरे प्रदेश और देश में सभी लोग लॉकडाउन के कारण मानसिक रूप से परेशान हैं। इसका अहसास हम सभी को और राज्य सरकार को भी है। एक तरफ लोगों का जीवन बचना सर्वोपरि है तो आजीविका का महत्व भी कम नहीं है। इसीलिए प्रदेश में मॉडिफाइड लॉकडाउन लागू करके संक्रमण को रोकने और आमजन जीवन को पटरी पर लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

क्वारेंटाइन से घबराने की आवश्यकता नहीं इसमें संदिग्ध व्यक्ति को अपने निवास या राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थान पर 14 दिन के लिए परिवार से बचकर अलग कमरे में रहना है। क्वारेंटाइन का हव्वा खड़ा करने की जरूरत नहीं है। कोरोना को लेकर समाज में किसी प्रकार की भ्रांतियां नहीं फैलनी चाहिए। इस संक्रमण से अधिकांश लोग ठीक हो रहे हैं। राजस्थान में अब तक कुल 3579 पॉजिटिव मरीजों में से 2011 मरीज ठीक हो चुके हैं।

प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है और अब तक डेढ़ लाख से अधिक सैम्पल की जांच की जा चुकी है, जो देश में सबसे अधिक है। राजस्थान में चिकित्सा सुविधाओं के आधारभूत ढांचे को लगातार मजबूत किया जा रहा है। प्रतिदिन 10 हजार से अधिक सैम्पल टेस्ट करने की क्षमता विकसित कर ली गई है और पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर और आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। यह संतोष की बात है कि अब तक इनकी जरूरत नहीं पड़ी है।
प्रदेश में पॉजिटिव मरीजों की संख्या अधिक दिख रही है क्योंकि हमने बड़ी संख्या में जांच की हैं। यह अच्छा प्रयास है कि संक्रमित व्यक्ति के बारे में जानकारी सामने आए क्योंकि तभी संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भी यही मान्यता है कि अधिक से अधिक लोगों के सैम्पल लेकर जांच की जाए। यह कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है।

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